म्युनिच के एक अध्यापक ने एक बार बीमारों के लिए एक घड़ी बनाई जिसके पीछे बिजली का एक बल्ब लगा रहता था। यह बल्ब तार के द्वारा बीमार की चारपाई से जुड़ा होता था। चारपाई वाले तार के छोर में एक स्विच होता था। जब बीमार वक्त देखना चाहता था, तब वह उस स्विच को दबाता था। दबाते ही बल्ब जल उठता था और घड़ी की छाया ऊपर छत पर पड़ती थी। छाया में घंटे और मिनट के कांटे और अंक के निशान बढ़े हुए आकार में दिखाई पड़ते थे। उसे देखकर रोगी बिना गर्दन टेढ़ी किए अपनी चारपाई पर लेटे-लेटे ही वक्त मालूम कर सकता था।
शनिवार, 30 मई 2009
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