रविवार, 24 मई 2009

कहानी : ननकी और आदमखोर शेर

वगडावर नामक गांव में एक लड़की रहती थी ननकी। इस गांव के पास से पोसी नदी बहती है। ननकी को इस नदी से बड़ा लगाव था। जब वह स्कूल जाती तो नदी के किनारे-किनारे चलती हुई नदी की कलकल बहती धारा, उसमें उछलती-कूदती मछलियों और बगुलों को देखती जाती। नदी के दोनों ओर बड़े-बड़े फलदार वृक्ष लगे थे। कभी-कभी वह उनके फल तोड़कर खा भी लेती। स्कूल से घर लौटते वक्त वह नदी के सुनसान किनारे पर पहुंचकर अपने बस्ते को किसी पेड़ की खोल में रख देती और नदी में उतरकर हाथ-मुंह धोती या उसके किनारे बैठकर अपने विचारों में खो जाती।

एक दिन स्कूल से लौटते वक्त वह रोज की भांति धीमे-धीमे नदी के किनारे-कनारे चली जा रही थी। तभी उसे एक हल्की सी आवाज सुनाई दी, “ननकी मुझे बचा लो।” उसने इधर-उधर सिर घुमाकर देखा। नदी के ऊपर तक बढ़ आई एक डाली पर एक मछली फंसी हुई थी। उसी ने पुकारा था। नदी में कूद-कूदकर खेलते समय वह शायद पानी के ऊपर स्थित डाली में उलझ गई थी।

ननकी तुरंत डाली पर चढ़ गई और मछली को छुड़ाकर दुबारा पानी में डाल दिया। पानी में पहुंचते ही मछली सुंदर स्त्री में बदल गई। वह कोई साधरण मछली नहीं, बल्कि जलपरि थी। उसने ननकी से कहा, "बेटी तुमने मेरी जान बचाई है। इसके बदले मैं तुम्हें एक विद्या सिखाऊंगी।" और उसने ननकी को एक विद्या सिखा दी। वह इस तरह की थी कि यदि ननकी किसी को देखकर कह दे "चिपक जाओ" तो तुरंत उस प्राणी के हाथ-पैर चिपक जाते थे। वे फिर तभी खुलते थे जब ननकी यह कह दे "खुल जाओ"। इसके बाद परी अदृश्य हो गई और ननकी भी घर की ओर चलने लगी।

रास्ते में उसे एक बगुला दिखाई दिया जो एक मेंढ़क को पकड़ने ही वाला था। ननकी ने सोचा कि परि ने जो विद्या सिखाई है, उसे आजमाकर देखना चाहिए, तभी यह मालूम हो सकेगा कि वह काम करती है कि नहीं। उसने बगुले को देखकर कहा, "चिपक जाओ"। तुरंत बगुले की चोंच, पैर और पंख चिपक गए और हिलने-डुलने में असमर्थ हो गए। इसका लाभ उठाकर मेंढ़क बच निकल गया। परि द्वरा सिखाई गई विद्या को काम करते देखकर ननकी बहुत खुश हुई। उसने "खुल जाओ" कहकर बगुले को छुड़ाया और आगे बढ़ गई।

आगे चलकर उसे एक कौआ दिखाई दिया जो एक गिलहरी को पकड़ रहा था। ननकी ने तुरंत कौए को देखकर कहा, "चिपक जाओ"। कौआ मूर्तिवत हो गया और गिलहरी भाग गई। ननकी ने "खुल जाओ" कहकर कौए को छुड़ाया।

जब ननकी गांव पहुंची तो उसने देखा कालू कुत्ता चंपा मौसी की बिल्ली के पीछे पड़ा हुआ है। उसने तुरंत कालू को देखकर "चिपक जाओ" कहा तो कालू के हाथ-पैर सब चिपक गए। वह जमीन पर निस्सहाय होकर गिर पड़ा और "कूं-कूं-कूं" करने लगा। बिल्ली जब एक घर की छत पर चढ़ गई तो ननकी ने कालू को छोड़ दिया।

बहुत जल्द गांव भर में ननकी की इस अद्भुत विद्या की खबर फैल गई। सभी उससे दुश्मनी करने से डरने लगे। गांव भर के लड़के-लड़की अब उसके पीछे-पीछे चलने और जैसा वह कहती वैसा ही करने लगे।

एक दिन उस गांव के पास के जंगलों में एक आदमखोर शेर आ गया। उसने आसपास के गांवों के कई आदमियों को मार कर खा लिया। ननकी के गांव वगडावर के कुछ निवासी भी उसके शिकार हुए। तब सब लोगों ने मिलकर ननकी से कहा कि वह इस बाघ को पकड़ने में मदद करे।

ननकी फौरन राजी हो गई। वह गांव के शिकारी और कुछ किसानों को साथ लेकर जंगल की ओर चल पड़ी। बहुत खोजने पर उन्हें शेर की मांद मिल गई। वे धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे। तभी जोर की गुर्राहट हुई और शेर एक झाड़ी के पीछे से उनकी ओर झपट पड़ा। बाकी सब लोग तो डर के मारे इधर-उधर भागने लगे, पर ननकी ने शेर की आंख में आंख डालकर कहा, "चिपक जाओ"। शेर की छलांग अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि उसके हाथ-पैर और जबड़े उसके हवा में रहते ही चिपक गए और वह धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा।

यह देखकर बाकी गांववाले धीरे-धीरे अपने छिपने के स्थानों से निकल आए और आश्चर्यचकित होकर आदमखोर शेर को देखने लगे। ननकी ने उन्हें शेर को मारने नहीं दिया। वह जानती थी कि फिलहाल शेर किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। सब मिलकर शेर को वगडावर गांव ले आए। वहां के बच्चे-बच्चे तक ने साहस करके शेर की पीठ पर हाथ फेर कर देखा।

सब यही विचार कर रहे थे कि इस शेर का क्या किया जाए कि तभी चिड़ियाघर की एक गाड़ी पिंजड़ा लेकर आ गई। आदमखोर शेर के पकड़े जाने की खबर शहर तक पहुंच गई थी। चिड़ियाघर को शेर की आवश्यकता थी। उसका शेर अभी हाल ही में बूढ़ा होकर मर गया था। ननकी ने शेर को चिड़ियाघर के अधिकारियों को सहर्ष दे दिया। जब उन्होंने शेर को पिंजड़े के अंदर रख दिया और पिंजड़े का दरवाजा मजबूती से बंद कर दिया, तब ननकी ने पिंजड़े के पास जाकर "खुल जाओ" कह दिया। तुरंत शेर के हाथ-पैर खुल गए। जब शेर ने देखा कि वह कैद कर लिया गया है, तो वह थोड़ी देर बहुत छटपटाया और दहाड़ा, पर शीघ्र शांत हो गया। वह समझ गया कि वह पिंजड़े से छूट नहीं सकता। चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने ननकी को बहुत धन्यवाद दिया और शेर को अपने साथ ले गए।

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