ब्रिटिश गुयाना के एक राजकुंवर थे रानडियोन। उनका जन्म 1871 में हुआ था। जब वे पैदा हुए तो उनके न तो हाथ थे न पैर ही। जब वे 18 साल के हुए तो एक बड़ी सरकस कंपनी के मालिक पी।टी। बर्नम उन्हें अमरीका ले आए। हाथ और पैर न होने पर भी रानडियोन आश्चर्यजनक हद तक आत्मनिर्भर थे -- वे होंठों के बीच पेंसिल पकड़कर लिख सकते थे, कागज मोड़कर सिगरेट बना सकते थे और स्वयं ही अपनी दाड़ी बना सकते थे।
शनिवार, 23 मई 2009
हाथ नहीं पर शेव कर सकते थे
प्रस्तुतकर्ता बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण पर 9:25 pm
लेबल: मानो या न मानो
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