जंभाई लेना एक सहज क्रिया है जिसका मुख्य उद्देश्य फेफड़ों में अधिक आक्सीजन पहुंचाना है। काफी लंबे समय तक हल्की-हल्की सांसें लेते जाने से हमारे शरीर में आक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। ऐसा तब होता है जब हम बैठे हों, थके हों, या तनावग्रस्त हों। तब मस्तिष्क जंभाई लेने का आदेश दे देता है। जंभाई लेते समय हम मुंह को पूरा-पूरा खोलकर गहराई से सांस लेते हैं, जिससे हमारे फेफड़े अपनी पूरी क्षमता तक हवा से भर जाते हैं। इससे शरीर को तुरंत पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन मिल जाती है और हमारी थकान मिट जाती है।
जंभाई का संबंध खून में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा बढ़ने से भी है, जो भी लंबे समय तक हल्की सांसें लेते रहने का परिणाम होता है।
द्रष्टव्य है कि योग का प्राणायाम भी जंभाई लेने की क्रिया का ही अनुकरण है। प्राणायाम करते समय हम जंभाई की क्रिया को ही नियंत्रित रूप से दुहराते हैं -- धीरे-धीरे फेफड़ों को फुलाया जाता है, और थोड़ी देर तक सांस रोके रखकर उसे धीरे से बाहर छोड़ा जाता है। इससे शरीर को अधिक आक्सीजन मिलती है और शरीर की थकान दूर हो जाती है।
सोमवार, 11 मई 2009
क्यों लेते हैं जंभाई हम?
प्रस्तुतकर्ता बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण पर 1:55 am
लेबल: रोचक जानकारी
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