अमरीका में काले लोगों पर बहुत अत्याचार होते हैं। उन्हें समाज में आगे ब़ढ़ने के उतने अवसर नहीं मिलते जितने गोरों को।
एक बार अमरीका के एक छोटे शहर में मेला लगा। उस शहर में काले-गोरे दोनों रहते थे।
मेले में अनेक आकर्षण थे। उनमें से एक था रंग-बिरंगे गुब्बारे बेचनेवाला एक व्यक्ति। हीलियम गैस से भरे आकाश में खूब ऊंचा उठनेवाले रंग-बिरंगे गुब्बारों के लिए उसके पास हमेशा बच्चों की भीड़ लगी रहती थी। जब कभी बिक्री कम होने लगती, वह एक गुब्बारे को खोलकर हवा में उड़ा देता। उसे उंचाई पकड़ते देखकर बच्चे उत्साहित हो उठते और उसके पास फिर भीड़ जुटने लगती।
एक काला बच्चा यह सब बड़े ध्यान से देख रहा था। यकायक वह गुब्बारेवाले के पास सरक आया और बोला, "काका, मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं।"
गुब्बारेवाले ने उसे प्रोत्साहित करते हुए कहा, "हां बेटे, कहो, क्या जानना चाहते हो?"
बच्चे ने कहा,"यही कि काले रंग का गुब्बारा भी आसमान पर ऊंचा चढ़ेगा?"
उस मांसूस बच्चे का सवाल सुनकर गुब्बारेवाले की आंखें नम हो उठीं।
उसने बड़े प्रेम से बच्चे को समझाया, "बेटे गुब्बारा हो या मनुष्य, उसके ऊपर उठने से उसके रंग का कोई संबंध नहीं है। उसके अंदर जो चीज है, वही उसे ऊपर उठाता है।"
मंगलवार, 26 मई 2009
प्रेरक प्रसंग : रंग में कुछ नहीं रखा
प्रस्तुतकर्ता बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण पर 7:33 pm
लेबल: प्रेरक प्रसंग
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