कौन हूं मैं?
- फल हूं मैं पर स्वादिष्ट कदापि नहीं हूं। चाहूं तो मैं आपकी जान भी ले सकता हूं।
- न तो मेरा मुंह है न दांत ही, पर मैं बुरी तरह काट सकता हूं।
- टूट जाने पर ही मैं उपयोग में आता हूं।
- मेरे पास शहर, गांव और कसबे हैं पर घर नहीं, बड़े-बड़े जंगल हैं पर वृक्ष नहीं, नदी, तालाब और समुद्र हैं पर पानी नहीं। क्या हूं मैं?
- मैं पहाड़ों की चोटी तक जाती हूं और ठेठ नीचे तक चली आती हूं, पर अपनी जगह से नहीं हिलती।
- चोटी भी है और पाद भी पर मैं अचल हूं।
- मैं किसी दिन काम नहीं करता पर पूरा वेतन पाता हूं।
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