मंगलवार, 19 मई 2009

बाल उपन्यास - ओस का अद्भुत जादूगर - फ्रैंक बौम

(पिछले अंक में तुमने पढ़ा कि कैसे तूफान डोरोथी के घर को आसमान में उड़ा ले गया। तब डोरोथी और उसका प्यारा कुत्ता उस घर में ही थे। उनका क्या हुआ यह जानने के लिए इस अंक को पढ़ो।)

२. मुंछकिनों से बीतचीत - 1



उसकी नींद एक जोरदार झटके के लगने से टूटी। उसे झटका इतनी जोर से और अचानक लगा कि यदि वह गद्देदार पलंग पर लेटी हुई न होती तो उसे जरूर चोट लग जाती। फिर भी झटके से उसकी सांस फूल आई और वह सोचने लगी कि हुआ क्या है। टोटो अपनी छोटी गीली नाक डोरोथी के चेहरे के पास ले जाकर बड़ी कातरता से रिरियाने लगा। डोरोथी बैठ गई। उसने देखा कि घर अब हिल नहीं रहा। अंधेरा भी चला गया था और खिड़की से चमकीली धूप कमरे के अंदर आ रही थी। वह पलंग से नीचे कूद पड़ी और घर का दरवाजा खोल दिया। टोटो भी उसके पीछे-पीछे चला आया।

बाहर का नजारा देखकर डोरोथी के मुंह से आश्चर्य की चीख निकल गई और उसकी आंखें विस्मय से फैलने लगीं।

तूफान ने घर को आहिस्ता-आहिस्ता एक अत्यंत सुंदर देश के मध्य उतार दिया था। तूफान की भयंकरता को देखते हुए उनका इतने धीमे से उतरना एक आश्चर्य ही था। चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी और बड़े-बड़े फलदार पेड़ दिखाई दे रहे थे। हर जगह महकदार फूलों से भरी क्यारियां थीं। रंग-बिरंगे चमकीले परों वाली सुंदर चिड़ियां चहचहाती हुई पेड़ों और झाड़ियों में उड़ रही थीं। पास ही स्फटिक के समान साफ पानी वाली एक सरिता कलकल करती हुई हरे-भरे किनारों के बीच बह रही थी। उसे देखकर सूखे एवं नीरस प्रेरी मैदानों में पली डोरोथी का हृदय आह्लाद से भर उठा।

इन सबको कुतूहल से निहारती हुई डोरोथी खड़ी ही थी कि तभी उसकी ओर कुछ लोग आए। इतने अजीब लोग उसने पहले कभी नहीं देखे थे। वे चाचा हेनरी या एम चाची जितने बड़े नहीं थे, पर बहुत छोटे भी नहीं थे। असल में वे लगभग डोरोथी जितने ही ऊंचे थे, जो अपनी उम्र के लिए काफी बड़ी और तंदुरुस्त थी। पर, जैसा कि उनके चेहरे से स्पष्ट था, वे सब काफी बड़ी उम्र के थे।

उनमें से तीन पुरुष थे और एक स्त्री थी। उन सबने विचित्र कपड़े पहन रखे थे। उनके सिरों पर गोल टोपियां थीं, जो ऊपर की ओर संकरी होती-होती उनके सिर से हाथ भर की ऊंचाई पर एक नोक पर समाप्त होती थीं। टोपी के किनारों से छोटी-छोटी घंटियां बंधी थीं जो उनके हिलने पर टुनटुना उठती थीं। पुरुषों के टोप नीले रंग के थे, जबकि महिला का सफेद। उसने एक सफेद पेटीकोट पहन रख था, जिसकी अनेक तहें उसके कंधे से लटक रही थीं। इन तहों पर अनेक तारे मढ़े हुए थे जो धूप में हीरे के समान दमक रहे थे। पुरुषों ने उनके टोपों के समान नीले रंग के वस्त्र पहन रखे थे। उनके जूते आसमानी रंग के थे और खूब चमचमा रहे थे। चूंकि उनमें से दो की काफी लंबी दाड़ी थी, डोरोथी ने सोचा कि ये पुरुष लगभग हेनरी चाचा की उम्र के होंगे। पर वह महिला निश्चय ही उन सबसे कहीं अधिक उम्र की लग रही थी, क्योंकि उसके चेहरे पर झुर्रियां थीं और उसके बाल सब पक गए थे।

जब ये सब घर के पास पहुंचे, जिसके द्वार पर डोरोथी खड़ी थी, वे सब रुक गए और आपस में फुस-फुसाने लगे, मानो उन्हें अधिक पास आने में डर लग रहा हो। पर वह बूढ़ी औरत पास आ ही गई और काफी नीचे तक झुककर डोरोथी को प्रणाम करते हुए बड़ी मीठी आवाज में इस प्रकार बोली, "हे शक्तिशाली जादूगरनी, मुंछकिन के देश में तुम्हारा हार्दिक स्वागत है! पूर्वी दिशा की दुष्ट जादूगरनी को मारकर हम सबको मुक्त करने के लिए बहुत-बहुत आभार।"

डोरोथी आश्चर्य से उस बुढ़िया की बातें सुनती रही। उसे समझ में नहीं आया कि वह उसे शक्तिशाली जादूगरनी क्यों कह रही है, या यह कि उसने पूर्वी दिशा की दुष्ट जादूगरनी को मारा है। वह तो एक सीधी-सरल बच्ची थी, जिसे तूफान ने मीलों दूर उड़ाकर यहां ला पटका था। उसने अपनी सारी जिंदगी में किसी भी प्राणी को नहीं मारा था।

पर स्पष्ट था कि बुढ़िया उसके उत्तर की प्रतीक्षा कर रही है। इसलिए डोरोथी ने हिचकिचाते हुए कहा, "आप सब बड़े भले लोग लगते हैं, पर निश्चय ही आपको कोई गलतफहमी हुई है। मैंने किसी को नहीं मारा है।"

"तुमने नहीं तो तुम्हारे घर ने तो अवश्य ही मारा है, और वह भी एक ही बात है," उस बुढ़िया ने हंसते हुए कहा। घर के कोने की ओर इशारा करके वह आगे बोली, "वह देखो उसके दोनों पैर उस भारी शहतीर के नीचे से दिख रहे हैं।"

डोरोथी ने जब उस ओर देखा तो उसके मुंह से घृणा की एक चीख निकल आई। सचमुच उसके घर के नीचे से किसी के दो पैर निकले हुए थे। उन पैरों पर चांदी के नुकीले सिरों वाले जूते थे।

"हे भगवान! हे भगवान!" अफसोस से हाथ मलती हुई डोरोथी ने कहा, "घर शायद उस बेचारी के ऊपर गिर पड़ा। अब क्या होगा!"

"अब कुछ नहीं हो सकता," उस बूढ़ी औरत ने इत्मीनान से कहा।

"पर वह थी कौन?" डोरोथी ने पूछा।

"जैसा कि मैंने कहा, पूर्वी दिशा की कुटिल जादूगरनी," बूढ़ी महिला ने उत्तर दिया, "उसने कई सालों से सारे मुंछकिनों को गुलाम बनाकर रखा था, और वह उनसे दिन-रात कड़ी मेहनत कराती थी। अब वे सब आजाद हो गए हैं और तुम्हारे प्रति आभारी हैं क्योंकि तुम्हीं उनके उद्धारक हो।"

"मुंछकिन कौन हैं?" डोरोथी ने पूछा।

"वे पूर्वी देश के निवासी हैं जिस पर यह दुष्ट जादूगरनी राज करती थी।"

"क्या तुम भी एक मुंछकिन हो?"

"नहीं, मैं उनका मित्र हूं, हालांकि मैं उत्तर के देश में रहती हूं। जब पूर्व की जादूगरनी का अंत हो गया, तो इन्होंने एक तेज संदेशवाहक के जरिए मुझे सूचित किया और मैं तुरंत चली आई। मैं उत्तर दिशा की जादूगरनी हूं।"

"दय्या रे दय्या!" डोरोथी बोली, "क्या तुम सचमुच एक जादूगरनी हो?"

"बेशक" उस औरत ने कहा, "लेकिन मैं एक अच्छी जादूगरनी हूं और लोग मेरा बहुत आदर करते हैं। मैं इस जादूगरनी जितनी शक्तिशाली नहीं हूं, नहीं तो स्वयं ही मुंछकिनों को आजाद कर देती।"

"पर मैं तो सोचती थी कि सभी जादूगरनियां बुरी होती हैं", डोरोथी ने संदेह जतलाते हुए कहा। उसे एक असली जादूगरनी को देखकर डर लग रहा था।

"नहीं, नहीं, यह बिलकुल गलत है। ओस के देश में चार जादूगरनियां हैं, और उनमें से दो के बारे में मैं विश्वास के साथ कह सकती हूं कि वे बिलकुल नेक स्वभाव की हैं। उन दो में से एक तो मैं स्वयं हूं, इसलिए मेरी बात मानी जा सकती है। पूर्व और पश्चिम की जादूगरनियां बुरी हैं, पर उनमें से एक को तुमने मार दिया है और अब ओस के देश में केवल एक बुरी जादूगरनी रह गई है। वह है पश्चिम की जादूगरनी।"

"पर एम चाची तो कहती थीं कि सभी जादूगर और जादूगरनियां सालों पहले मर-खप गए हैं," डोरोथी ने शंका प्रकट की।

"यह एम चाची कौन हैं?" बूढ़ी औरत ने पूछा।

"वह मेरी चाची हैं जो कंसास में रहती हैं। मैं भी वहीं से आई हूं।"

यह सुनकर उत्तर की जादूगरनी कुछ सोचने लगी। उसका सिर झुक गया और वह बड़े गौर से जमीन को देखने लगी। फिर वह बोली, "मुझे पता नहीं है कि कंसास देश कहां है, मैंने उसके बारे में कभी नहीं सुना है। पर बताओ तो, क्या वह एक सभ्य देश है?"

"हां बिलकुल", डोरोथी ने कहा।

"तब बात समझ में आती है। जहां तक मैं जानती हूं, सभ्य देशों में अब कोई जादूगर या जादूगरनी नहीं रह गया है। पर ओस का देश अभी सभ्य नहीं हुआ है, क्योंकि वह अन्य सभी देशों से अलग-थलग पड़ा हुआ है। इसलिए हमारे मध्य जादूगर-जादूगरनियां हैं।"

"जादूगर कौन है?" डोरोथी ने पूछा।

"ओस स्वयं एक महान जादूगर है," जादूगरनी ने अपनी आवाज को एक फुसफुसाहट में बदलते हुए कहा। "वह हम सब जादूगरनियों से अधिक शक्तिशाली है। वह पन्नों के महल में रहता है।"

डोरोथी कुछ और पूछना चाहती थी, पर तभी मुंछिकिन, जो अब तक चुपचाप उनकी बातें सुन रहे थे, एक-साथ चिल्ला उठे और उंगली से डोरोथी के घर के उस ओर इशारा करने लगे जहां जादूगरनी दबी पड़ी थी।

"क्या बात है?" बूढ़ी महिला ने कहा और उस ओर देखा, तब हंस पड़ी। वहां उस जादूगरनी के पैर बिलकुल गायब हो गए थे और केवल चांदी के जूते पड़े हुए थे।

(... जारी)

 

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